लेखनी कहानी -26-Nov-2021 बिंदी की अहमियत
कहानी प्रतियोगिता के लिए
बिंदी की अहमियत।
परिधि तुम घर से बाहर निकलो।इस तरह कब तक घर में बंद रहोगी। कब तक पराग की याद को सीने से लगाकर रखोगीं। अपने हाथ में तो कुछ है नहीं, तुमने- हमनें तो बहुत कोशिश की, उसको बचाने की। बहुत इलाज कराया ।लेकिन जब प्रभु की यही इच्छा थी, उसके आगे हम क्या कर सकते हैं, यह सुनते ही परिधि फक फक रो पड़ी उसकी आंखों से आंसू धारा बहती चली जा रही थी। तभी अपनी गीली आँखों से उसकी सास में उसको संभाला और गले लगाकर उसको संतावना दी। उसको पुचकारते हुए बोली..
बेटा जीवन बहुत लम्बा हैं ऐसे नहीं कटता हैं। आगे बढ़ो अपने लिए नयी राह चुनो। पुरानी यादों के साथ ..
"जहां तुमने स्कूल में पहले नौकरी की थी ,वहीं से फिर से शुरुआत करों। कल से तुम जाना शुरू कर दो। पहले तो जिम्मेदारियों के कारण तुमने अपनी जॉब छोड़ दी थी ।लेकिन अब मैं चाहती हूं तो फिर से अपनी नौकरी ज्वाइन करो और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो"
सुबह उठकर परिधि की सास ने उसे तैयार होने के लिए कहा ।जबरदस्ती उसको ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा दिया और उसके बाद उसके बाल सवारने लगी ।देखो क्या हाल बना लियाहै तुमनें अपना।अचानक से शीशे पर चिपकी बिंदी परिधि के माथे पर लगी हुई दिखाई दे रही थी।
परिधि को पराग की याद आने लगी ।कि किस प्रकार की बिंदी के साथ छेड़खानी करता था, और कहता था ,तुम हमेशा बिंदी लगाकर रखा करो, बहुत सुंदर नजर आती हो, बिना बिंदी के तुम्हारे चेहरे पर चमक नहीं रहती ,जब तुम इस लाल बिंदी को लगाती हो ,तो यह चांद सी बिंदी तुम्हारे चांद से चेहरे को ओर सुंदर बना देती है ।सूरज की आभा सी तुम चमकने लगती हो।यह याद कर परिधि एकदम से रोने लगी और शीशे के सामने से हट गई।
दो साल पहले ही दोनों ने लव मैरिज की थी।पराग को ब्लड कैंसर हुआ पहली स्टेज में ही पता चल गया "लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सकता हैं वह तो हो कर रहती हैं" परिधि ने बहुत मेहनत की कि पराग ठीक हो जाए ।उसे गए हुए एक साल बीत गया ।उसके जाने के बाद उसने कभी बिंदी नहीं लगाई।
परिधि की सास ने वह बिंदी आइने से उतार कर परिधि के माथे पर लगा दी। और कहा यह सिर्फ सुहाग की निशानी नहीं ,तुम्हारा सुरक्षा कवच बनेगी ,कोई बाहरी इंसान तुम पर गंदी नजर नहीं डाल सकेगा। तुम्हें विधवा जानकर । यह बिंदी तुम्हारे नाम की तरह तुम्हारा दायरा सीमित करेगी लक्ष्मण रेखा बनकर ,जिससे तुम सुरक्षित रहोगी।और मैं जानती हूँ ,पराग भी हमेशा तुम्हें इसी रूप म़े चाहता था।जब शादी से पहले लगा सकती हो तो अब क्यों नहीं?
जाओ ,अब तुम बाहर जाओ ,निश्चित होकर, इस बिंदी को हमेशा के लिए अपने माथे पर लगाए रखना जब तक तुम्हें कोई समझने वाला नहीं मिल जाता।
यह सुन परिधि अपनी सास के गले लग गई। और माथे पर लगी बिंदी के साथ और नये हौसलें के साथ अपने काम पर निकल गई। अपनी नई जिंदगी तलाशने के लिए।
NEELAM GUPTA
26-Nov-2021 10:06 PM
आभार जी
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Zakirhusain Abbas Chougule
26-Nov-2021 08:51 PM
Nice
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NEELAM GUPTA
26-Nov-2021 10:06 PM
आपका बहुत बहुत आभार जी
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Ilyana
26-Nov-2021 04:36 PM
lajawab
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NEELAM GUPTA
26-Nov-2021 10:06 PM
आपका बहुत बहुत आभार जी आभार
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